हैरान हूँ मैं,
पर हताश नहीं हूँ.
परेशान हूँ मैं
पर निराश नहीं हूँ .
फिर उगेगा सूरज,
पर दिशा अलग होगी,
फिर बहेंगी नदियाँ,
पर राह अलग होगी,
फिर चहचाहयेंगे पक्षी,
पर चहचहाहट अलग होगी,
फिर खिलखिलाएँगे बच्चे,
पर खिलखिलाहट अलग होगी.
फिजा बदलेगी,
हवा बदलेगी,
आने वाली सुबह,
देश का समां बदलेगी.
आज मैं हारा नहीं हूँ,
बस मेरा 'हार' गया है.
कल मैं फिर जीतूँगा,
ये वक़्त मुझसे कह गया है.
बदलाव तो विकास का प्रतीक है,
प्रयोग तो लोकतंत्र की नींव है,
करने दो प्रयोग उन्हें, जरा वो भी आजमालें,
इसी में भारत की जीत है, इसी में मेरी जीत है .
पर हताश नहीं हूँ.
परेशान हूँ मैं
पर निराश नहीं हूँ .
फिर उगेगा सूरज,
पर दिशा अलग होगी,
फिर बहेंगी नदियाँ,
पर राह अलग होगी,
फिर चहचाहयेंगे पक्षी,
पर चहचहाहट अलग होगी,
फिर खिलखिलाएँगे बच्चे,
पर खिलखिलाहट अलग होगी.
फिजा बदलेगी,
हवा बदलेगी,
आने वाली सुबह,
देश का समां बदलेगी.
आज मैं हारा नहीं हूँ,
बस मेरा 'हार' गया है.
कल मैं फिर जीतूँगा,
ये वक़्त मुझसे कह गया है.
बदलाव तो विकास का प्रतीक है,
प्रयोग तो लोकतंत्र की नींव है,
करने दो प्रयोग उन्हें, जरा वो भी आजमालें,
इसी में भारत की जीत है, इसी में मेरी जीत है .
1 comments:
Dear Deepank,
As you have seen I did not take the credit of your poem. But I liked it so much that I decided to share it with my readers.
And wrt your request, surely I'll update my post soon.
It was nice talking to you.
FÜHRER
www-fuehrer-pratyush.blogspot.com
Post a Comment